तेरी जुदाई मे तनहा हो कर,आखिर मर ही जाए गे---पर तुझे नजऱ भर जो ना देखा तो
सकून कैसे पाए गे----बन के राख हवाओ मे बिखर बिखर जाए गे ऐसे--कि तू जहा जहा
से गुजरे गा--तेरे कदमो मे राखे मुहबबत का सलाम बजा जाए गे--------
सकून कैसे पाए गे----बन के राख हवाओ मे बिखर बिखर जाए गे ऐसे--कि तू जहा जहा
से गुजरे गा--तेरे कदमो मे राखे मुहबबत का सलाम बजा जाए गे--------