दुनिया मे रह कर भी,दुनिया वालो से जुदा है हम---बॅधे है हर रिशते से,पर फिर भी हर
रिशतेे से बहुत दूर है हम--समझ नही पाए इन ऱिशतो की भाषा,जिस मे रही दौलत और
पतथरो की अजब परिभाषा--दुनिया वालो ने हमे खुदगऱज समझा-उन के मुताबिक ना
चले तो दीवाना समझा--आज सिमट गए है खुदा के दामन मे,खुद को महफूज समझ
रहे है उस की पनाह मे इतना--लौट के ना आना चाहे गे फिर इस दुनिया मे,जहाॅ हसरते
तोडती रहे साॅसे हर पल अपना---
रिशतेे से बहुत दूर है हम--समझ नही पाए इन ऱिशतो की भाषा,जिस मे रही दौलत और
पतथरो की अजब परिभाषा--दुनिया वालो ने हमे खुदगऱज समझा-उन के मुताबिक ना
चले तो दीवाना समझा--आज सिमट गए है खुदा के दामन मे,खुद को महफूज समझ
रहे है उस की पनाह मे इतना--लौट के ना आना चाहे गे फिर इस दुनिया मे,जहाॅ हसरते
तोडती रहे साॅसे हर पल अपना---