Friday 3 July 2015

कही धोखे-कही फरेब-तो कही पयार का मायाजाल----कदम कदम पर ले रही जिनदगी

हमारे सबर के इमतिहान---ना शामिल है चाहत की इन रॅगानियो मे-ना शामिल है इन

बगावत की उलझनो मे---इक दुनिया है मेरी,जो जुडी है इबादत मे तेेरी---खामोशियो को

जो समझे,निगाहो के पानी को जो जाने,दिलो को जो जोड कर रख दे----बस इतनी सी

है मेरी कहानी-----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...