Wednesday 29 July 2015

इनतजाऱ जहा खतम होता है-मेरी हद वही से शुरू होती है--जिनदगी जहा खतम हो

जाती है-बस उसी मोड से यह साॅसे साॅस लेती है--टुकडे टुकडे टूटती यह खवाहिशे जब

भी दम तोड जाती है-उसी दम के छोर से मुहबबत मिल जाती है---हवाओ की रूखसती

जब भी खामोश होती है-नई दिशा की कामयाबी मेरे साथ होती है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...