Thursday 23 July 2015

जो गुनाह कभी किए ही नही,उस के गुनाहगार भी बन गए है आज--ऱफता ऱफता चलती

इस जिनदगी मे,हर किसी की आॅख का काॅटा बन गए है आज--कहते है मुददतो बाद

कोई मसीहा बन कर आता है,दिल के दरद को दिल से ही खीॅच लेता है---इनतजाऱ कर

रहे है अपनी इबादत मे उसी रौशनी का,जो बन के सितारा निजात दिलाए गा उन  

गुनाहो से हमे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...