दीवानगी की हद से चाहना,कोई खता तो नही--हर किसी की खुशी पे,खुद को लुटाना
कोई खता तो नही--बेबसी मे खुद को दबाना,पर शिकवा फिर भी ना करना,कोई सजा
तो नही--सब के इशारो पे खुद को तबाह करना,कोई ऱजा तो नही--बिखर बिखर के फिर
आज खुले आसमाॅ मे उडना--मेरी खता तो नही--------
कोई खता तो नही--बेबसी मे खुद को दबाना,पर शिकवा फिर भी ना करना,कोई सजा
तो नही--सब के इशारो पे खुद को तबाह करना,कोई ऱजा तो नही--बिखर बिखर के फिर
आज खुले आसमाॅ मे उडना--मेरी खता तो नही--------