Friday 17 July 2015

हजारो कमिया रही हम मे,फिर भी आप ने हमे अपनाया है--समनदर की लहरो से

निकाल कर,आप की चाहत ने हमे सॅवारा है--खुदा कहे आप को या अपनी दुआओ का

असर,आॅसूओ के भॅवर से आप ने ही हमे निकाला है--शुकराना कहे तो कम होगा,हर

जनम मसीहा आप हो मेरे---इसी सकून के साथ आप को हम ने सराहा है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...