बदलते मौसम के मिजाज की तरह,कयू बदल रहा है मिजाज तेरा---हवाओ के रूख की
तरह कयू बहक रहा है हर सवाल तेरा--गर मजबूरिया जमाने की ना होती,तो सजदा
तुझे करने चले आते---इन हवाओ की खुशबू मे ढले,तेरे दामन से लिपट जाते---मौसम
की तरह यू खुल के ना बरस पाए गे,नाजुक सी किशती है-तेरे तेज झोको से तुझी मे डूब
जाए गे---
तरह कयू बहक रहा है हर सवाल तेरा--गर मजबूरिया जमाने की ना होती,तो सजदा
तुझे करने चले आते---इन हवाओ की खुशबू मे ढले,तेरे दामन से लिपट जाते---मौसम
की तरह यू खुल के ना बरस पाए गे,नाजुक सी किशती है-तेरे तेज झोको से तुझी मे डूब
जाए गे---