Friday 10 July 2015

बदलते मौसम के मिजाज की तरह,कयू बदल रहा है मिजाज तेरा---हवाओ के रूख की

तरह कयू बहक रहा है हर सवाल तेरा--गर मजबूरिया जमाने की ना होती,तो सजदा

तुझे करने चले आते---इन हवाओ की खुशबू मे ढले,तेरे दामन से लिपट जाते---मौसम

की तरह यू खुल के ना बरस पाए गे,नाजुक सी किशती है-तेरे तेज झोको से तुझी मे डूब

जाए गे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...