Friday 5 June 2015

कभी फूलो मे,कभी बगीचो मे,कभी राहे-गुजऱ मे तुम थे साथ मेरे---परिनदो की उडान

को गिनते,वो सपने भी साथ गिने तुम ने-----हजारो मननते पूरी हो हमारी,उस का

शुकराना भी खुदा से मुकऱऱ किया तुम ने--कभी खुशी होगी कभी गम--राहे जिनदगी मे

साथ देने का वादा भी किया तुम ने--पर आज वकत का वो दौर देखा,जब तुम ने कहा

मुझ से---आप कौन है मेरे--यह सवाल कयू दाग दिया तुम ने मुझ पे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...