तुम परेशान हो-हम पशेमान है---दूरियो का यह सिलसिला घटता ही नही--समनदर से
उठती इन लहरो का तूफाॅ कभी कम होता ही नही-----पाॅव के छालो के लहू से जमी पे
निशाॅ बनाते जा रहे है---जाने कब कहाॅ कोई फरिशता मिटा दे दरद के यह गहरे निशाॅ--
जी उठे गी यह हसऱते--होगी फिर यह निगाहे मेहरबान-मेहरबान-------
उठती इन लहरो का तूफाॅ कभी कम होता ही नही-----पाॅव के छालो के लहू से जमी पे
निशाॅ बनाते जा रहे है---जाने कब कहाॅ कोई फरिशता मिटा दे दरद के यह गहरे निशाॅ--
जी उठे गी यह हसऱते--होगी फिर यह निगाहे मेहरबान-मेहरबान-------