Monday 25 May 2015

गुरबत के शिॅकजे मे भी रह कर-तेरी मुहबबत के दिए जलाना नही भूले---हर याद को

सीने मे समेटे-तेरी किसी बात को नही भूले---दौलत शोहरत का साथ नही पाया-पर इस

जिनदगी के अनदाज को मन से जीना नही भूले----हर वो छोटी सी खुशी जो तेरे मेेरे

दरमयान रही-उस का जशन मनाना आज भी नही भूले----दुनियाॅ की नजऱो मे हम कुछ

भी नही-पर तुम मेरे शहनशाह हो य़ह बात खुद की मुमताज को बताना नही भूले---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...