चलते चलते बहुत दूर निकल आए है हम---कहाॅ ठूठो गे हमे-तुमहारे दायरे से भी बहुत
दूर निकल आए है हम-----रेत पे पाॅव धरते धरते कदमो के निशाॅ भी मिट चुके है अब---
बरफीली हवाओ के झोको मे अब तो खुद को भी झुठला चुके है हम---खुदा का रहम जो
रहा हम पे तो खुदा के दरबार तक भी पहुच जाए गे हम---------
दूर निकल आए है हम-----रेत पे पाॅव धरते धरते कदमो के निशाॅ भी मिट चुके है अब---
बरफीली हवाओ के झोको मे अब तो खुद को भी झुठला चुके है हम---खुदा का रहम जो
रहा हम पे तो खुदा के दरबार तक भी पहुच जाए गे हम---------