Wednesday 20 May 2015

वो एक कहानी जो तेरे नाम से लिख दी हम ने---तेरी खामोशियो से तेरी ही गुफतगू की

दासताॅ लिख दी हम ने--तेरी इन गहरी सी आॅखो मे हजारो सवालात के जवाब ठूठ डाले

हम ने---तेरे कदमो की चाप से मनिजल की तलाश कर डाली हम ने---तू समझे या ना

समझे तेरे बेनाम से रिशते से जनमो का बॅधन जोड डाला हम ने-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...