चलते चलते इन वीरान राहो पे तेरे ही कदमो के निशाॅ ढूठ रहे है हम---कभी रहमत तो
कभी दुआओ मे तुझे ही खोज रहे है हम----कभी बेजान बनी उस पायल को धीमे से
खनका देते है हम--यह सोच कर कि उस की खनक से शायद लौट आओ गे तुम--आधी
रात को चूडियो को बजा कर तेरी नीॅद को उडाना चाहते है हम------यह जान कर कि
आवाज सुनने के लिए अब कभी भी लौट कर नही आओ गे तुम---------
कभी दुआओ मे तुझे ही खोज रहे है हम----कभी बेजान बनी उस पायल को धीमे से
खनका देते है हम--यह सोच कर कि उस की खनक से शायद लौट आओ गे तुम--आधी
रात को चूडियो को बजा कर तेरी नीॅद को उडाना चाहते है हम------यह जान कर कि
आवाज सुनने के लिए अब कभी भी लौट कर नही आओ गे तुम---------