Sunday 26 April 2015

इनतजाऱ खतम नही हुआ अभी-रहे गा उमर भर----लमहा लमहा सॅजो रहे है खुशिया --

जिनदगी की सहऱ तक-कोई दसतक,कोई आवाज आज भी आए तो दीवानगी की सीमा

और भी बढ जाती है--पहर पहर---यू ही नही कहते मुहबबत इमतिहान लेती रहती है---

हर पल हर पल रह रह कर----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...