Friday 10 April 2015

आहट कही से आ रही है तेरे कदमो की---ऱिमझिम बरसात की बूॅदे बुला रही है तेरी उसी

आहट को---महक रही है बगिया मेरे पयार की इसी आॅगन मे---सो नही पाए गे अब तेरे

इनतजाऱ मेे-- कि फिर कही यह जिनदगी रूक  ना जाए ------तेरे दीदार मे-----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...