आहट कही से आ रही है तेरे कदमो की---ऱिमझिम बरसात की बूॅदे बुला रही है तेरी उसी
आहट को---महक रही है बगिया मेरे पयार की इसी आॅगन मे---सो नही पाए गे अब तेरे
इनतजाऱ मेे-- कि फिर कही यह जिनदगी रूक ना जाए ------तेरे दीदार मे-----------
आहट को---महक रही है बगिया मेरे पयार की इसी आॅगन मे---सो नही पाए गे अब तेरे
इनतजाऱ मेे-- कि फिर कही यह जिनदगी रूक ना जाए ------तेरे दीदार मे-----------