Friday 3 April 2015

उदासियाॅ ही उदासियाॅ---तनहाईया ही तनहाईया---मजबूर जिनदगी की अाधी अधूरी

परेशानिया----कहाॅ जा कर थमे गा यह उलझनो का सफर---कयू नही मिलता कभी इस

जीवन को सकून--राहे मनिजल की तलाश मे ढूढते रहे बस,दर ब दर तुम को--यह जान

कर कि तुम नही हो कही--इलतजा करते है खुदा तुम से-कर दे साॅसो को खतम,एक

दुआ है मेरी---------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...