Thursday 30 April 2015

हर बात पे रो दे सिरफ तेरे लिए--ऐसी भी मुहबबत नही मेरी--------तेरी बेवफाई की

कहानियाॅ रोज सुने--फिर भी इबादत तेरी ही करे--ऐसी फितरत ही नही मेरी------टूटते

तारे से तुझे मागूॅ--ऐसा तो मेरे दिल ने कभी सोचा ही नही-----तुम मेरे होने के लिए

बेइनतहाॅ अनदाज बिखेऱो--यकी करने के लिए मुझ मे बदलाव आज भी नही-------

Wednesday 29 April 2015

चलते चलते इन वीरान राहो पे तेरे ही कदमो के निशाॅ ढूठ रहे है हम---कभी रहमत तो

कभी दुआओ मे तुझे ही खोज रहे है हम----कभी बेजान बनी उस पायल को धीमे से

खनका देते है हम--यह सोच कर कि उस की खनक से शायद लौट आओ गे तुम--आधी

रात को चूडियो को बजा कर तेरी नीॅद को उडाना चाहते है हम------यह जान कर कि

आवाज सुनने के लिए अब कभी भी लौट कर नही आओ गे तुम---------

Sunday 26 April 2015

इनतजाऱ खतम नही हुआ अभी-रहे गा उमर भर----लमहा लमहा सॅजो रहे है खुशिया --

जिनदगी की सहऱ तक-कोई दसतक,कोई आवाज आज भी आए तो दीवानगी की सीमा

और भी बढ जाती है--पहर पहर---यू ही नही कहते मुहबबत इमतिहान लेती रहती है---

हर पल हर पल रह रह कर----------

Friday 24 April 2015

बहारे कभी मेरे आॅगन मे आए गी इस तरह--सोचा ना था----वो फिर लौट आए गे मेरी

जिनदगी मे--कही खवाब ना था-----कलियो मे,फूलो मे,हर शाख पे,हर डाल पे--जैसे नूर

आ रहा है----आसमाॅ से जैसे परियो का हजूम आ रहा है---कहने की बात नही है कि तेरे

आने के सनदेशे से ही---यह मन मुहबबत के दिए जला रहा है----------

Thursday 23 April 2015

मासूम हॅसी-मासूम अदा---वो ही मासूम सा चेहरा भी तेरा----खनकती हुई आवाज मे

छिपी है लहऱो की सदाॅ-----बहके बहके से कदम आ रहे है बस तेरी तरफ----नही रहे गे

जुदा तेरी उलफत की कसम----इन बेडियो से जुदा हो जाए गा तेरे मेरे सपनो का शहर---

Tuesday 21 April 2015

जिनदगी हर कदम पे एक उलझा सा सवालात कयो है--कभी मिल कर भी इतनी दूर का

खवाब कयो है----कभी इस से बेबसी का एहसास कयो हो जाता है--तो कभी खुशनसीबी

से भी बडा हिसाब नही मिल पाता है--कदम दर कदम यह जिनदगी कयो परेशान करती

है---ना छूटती है ना कभी खतम होने का मुकाम बनाती है---------

Monday 20 April 2015

हवाओ की रूखसती से पहले अकसर तेरे आने की खबर पूछ लेते है----जिस रासते से

तू गुजरे उसी रासते से तेरा पता भी अकसर पूछ लेते है------तू कही भी रहे मेरी खामोश

जुबाॅ की गुफतगू मे रहता है-----यह आसमाॅ जहा पे खतम होता है उसी मोड के आगे से

मेरी मुहबबत का सफऱ पूरा होता है------------

Wednesday 15 April 2015

मै हू तो तुम हो--तुम हो तो मै हू------लफजो मे बयाॅ की हजाऱो बार यह बाते तुम ने----

साथ बरसो का नही जनमो का है--यह यकीॅ कई बार दिलाया तुम ने-----हर मोड पे दू

गा साथ तेरा--यह अहसास भी कयू दिलाया तुम ने----ठोकरे जो जमाना दे गा तो खुद

सामने आ जाऊ गा तेरे--यह वादा भी कर डाला तुम ने----आज जब जखमो से भरा है

दामन मेरा--तो तेरे अहसास का साया भी नही है कयू पास मेरे----------------------
बदल गए हो तुम,तो मै कया करू---निगाहे जो चुरा ली तुम ने,तो किस से कहू---बस---

ताउम् इनतजाऱ करे गे तेरी उसी मुहबबत का--जो कभी दी थी तुम ने तोहफे मे हमे----

कही किसी मोड पे जो मिल जाओ गे हमे--तो माॅग ले गे तुमहे-तुम से जिनदगी भर के

लिए-----

Tuesday 14 April 2015

जाने कब कहाॅ---कैसे इतने मशहूर हो गए-----लोगो की दुआओ मे मशगूल हो गए---

हम जो कभी थे अजनबी--आज सब की मेहरबानियो के सऱताज हो गए---जिनदगी से

पयार होने  लगा है अब कि जिनदगी की वादियो मे---कई साथियो के पैगाम शाामिल

हो गए-----

Saturday 11 April 2015

जुुबाॅ खोली तो गुफतगू हमारी ने कयू कहऱ ठा दिया-----पलको को जो झुकाया मुहबबत

का अनदाज समझ नगमा बना दिया-----आॅखो नेे दिए इशारे तो जिनदगी हमारी का

अफसाना बना दिया----बाहे फैलाई जो मिलने के लिए-शोखी का अनदाज बता दिया---

सिमटे जो फिर खामोशी मे-तो जमाने ने कहा---यह खामोशी जिनदगी की है या फिर

शऱमिनदगी की----------

Friday 10 April 2015

आहट कही से आ रही है तेरे कदमो की---ऱिमझिम बरसात की बूॅदे बुला रही है तेरी उसी

आहट को---महक रही है बगिया मेरे पयार की इसी आॅगन मे---सो नही पाए गे अब तेरे

इनतजाऱ मेे-- कि फिर कही यह जिनदगी रूक  ना जाए ------तेरे दीदार मे-----------

Thursday 9 April 2015

फूलो की वादियो मे,पाया था तुमहे---बेपरवाह हवाओ ने, मिलाया था हमे---जिनदगी

के हर पल मे,खुशबू तेरी ही बिखरी है---कही जननत तो कही,मुहबबत की दुआ फैली है

----दूर ना जाना कभी मुझ से,कि---बहारो ने तुझे-यही रहने की इजाजत दे दी है---------

Tuesday 7 April 2015

मिले नही कभी तुम से, कयू अफसाने बन गए तेरे मेरे पयार के---कभी देखा नही तुम

 को,कयू हो गए इकरार के चरचे हमारे पयार के---मुहबबत की पनाहो मे नही रहे,फिर

कयू आखिर हम बदनाम हो गए---इबादत तेरी मे कहाॅ जुडे,पर जनमो के कयू गुलाम हो

गए---तनहाॅ भी नही हुए,फिर कयू आॅखो के आॅसूओ से बेहाल हो गए--------------

Sunday 5 April 2015

मेरी ही जिनदगी पे,उस ने किताब लिख डाली---किसी पनने पे हमारी तनहाई,तो कही

हमारी खुशी बयाॅ कर डाली---पलटते रहे जो हर पनना,मुहबबत अपनी का उस ने हर

मुकाम ही तय कर डाला---मुसकुरा दिए उस की मुहबबत के अफसानो पे,जो हम खुद

को ना समझे--यकीकन उस की लिखावट मे खुद का अकस ही ढूढ डाला-------

Friday 3 April 2015

शायरी------जिनदगी के हर रूप को बयान करती है-----सुख-दुख---खुशी-गम----हर पहलू को बयान करती है----

     मेरी शायरी के हर रूप को पसनद करने का तहे दिल से शुकरीया---शुकरीया
हम पागल है तेरे पयार मे-लोग कहते है-----हम बेवफा है तेरे इशक मे-लोग तो यह भी

कहते है-----खामोश बैठे है इक बुत की तरह-लोगो के अलफाज सुनते है----मुकऱऱर

दिन तो नही तेरे आने का-पर जुदाई के सबब मे,तेरे आने की उममीद का दिया जलाए

फिऱते है------
उदासियाॅ ही उदासियाॅ---तनहाईया ही तनहाईया---मजबूर जिनदगी की अाधी अधूरी

परेशानिया----कहाॅ जा कर थमे गा यह उलझनो का सफर---कयू नही मिलता कभी इस

जीवन को सकून--राहे मनिजल की तलाश मे ढूढते रहे बस,दर ब दर तुम को--यह जान

कर कि तुम नही हो कही--इलतजा करते है खुदा तुम से-कर दे साॅसो को खतम,एक

दुआ है मेरी---------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...