Wednesday 25 March 2015

हर तरफ फैली हैै तेरी चाहत की खुशबू की लहर--महक रही है मेरे मन की बगिया शामो

सहर---अनजाम नही सोचा इस पाक मुहबबत का--हवाओ के हर झोके से जुडा है तेरी

चाहत का सिला---कदम दर कदम चले है उन चाहत की आवाजो पे-कि---कही लौट ना

जाए तेरी चाहत की नजऱो की वो बेशुमार लहरे------------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...