हर तरफ फैली हैै तेरी चाहत की खुशबू की लहर--महक रही है मेरे मन की बगिया शामो
सहर---अनजाम नही सोचा इस पाक मुहबबत का--हवाओ के हर झोके से जुडा है तेरी
चाहत का सिला---कदम दर कदम चले है उन चाहत की आवाजो पे-कि---कही लौट ना
जाए तेरी चाहत की नजऱो की वो बेशुमार लहरे------------
सहर---अनजाम नही सोचा इस पाक मुहबबत का--हवाओ के हर झोके से जुडा है तेरी
चाहत का सिला---कदम दर कदम चले है उन चाहत की आवाजो पे-कि---कही लौट ना
जाए तेरी चाहत की नजऱो की वो बेशुमार लहरे------------