Tuesday 3 March 2015

कही से लौट के आजा-मेरे हमदम-कि बहुत उदास हू मै---दुनियाॅ बेशक साथ चले मेरे,

पर तेरे बिना बेकार हू मै--कई उलझने,कई बाते-कभी दिल को रूला देने वाली यादे-आज

भी चल रही है साथ मेरे-----कहे किस से दिल के यह ऱाज----बस------कही से लौट के

आजा मेरे हमदम--मेरे हमनवाज----------------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...