नजऱ भर जो देखा तुझे,कयू नजऱ भर आई मेरी--एक कदम जो साथ चले तेरे,कयू पूरा
सफऱ तय करने की खववाहिश मन मे आई मेरी-दिल के बनद दरवाजे पे दसतक दे रही
है निगाहे तेरी,कयू महसूस कर रही हू तेरी सरगोशियाॅ पनाहो मे मेरी--यह इशक है तेरा
या कशिश मेरी चाहत की,कयू बार बार बुला लेती हैै तुझे निगाहे मेरी------------
सफऱ तय करने की खववाहिश मन मे आई मेरी-दिल के बनद दरवाजे पे दसतक दे रही
है निगाहे तेरी,कयू महसूस कर रही हू तेरी सरगोशियाॅ पनाहो मे मेरी--यह इशक है तेरा
या कशिश मेरी चाहत की,कयू बार बार बुला लेती हैै तुझे निगाहे मेरी------------