Monday 23 February 2015

ताललुक नही रहा बेशक आज तेरी जिनदगी से-फिर भी जेहन मे तेरी यादे कहती है

कहानी मेेरी तनहाई की--कदम दर कदम चलते रहे,पर बहुत दूर रही मनिजल मेरी--

कभी टूटे कभी हारे,कभी खुद को यू ही बहलाते रहे कि चलना तो अकेलेे है-साथ मेरे

कोई भी नही--मन मे जो बाते है वो किसी को ना बता पाए गे--बस हमनवाॅ मेरे पहुॅचे

गे जब तुझ तक-तभी साऱी खवाहिशे बता पाए गे--------------- 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...