कहते कहते कयू रूक गए-जुबाॅ पे वो अलफाज..यकीकन वो हम ही थे जिन से मिले तुम
पहली बार...कोई कहता है तुम मुहबबत हो-तो कोई कहता है तुम दगा-बाज हो...इसी
कशमकश मे यू ही उलझे रहे-कभी दिन तो कभी ऱात..ना खतम हो जाए कभी यह साॅसे
वकत से पहले मेरे हमनवाज..यकीॅ कर लो हम ही है तुमहारे सरताज.........
पहली बार...कोई कहता है तुम मुहबबत हो-तो कोई कहता है तुम दगा-बाज हो...इसी
कशमकश मे यू ही उलझे रहे-कभी दिन तो कभी ऱात..ना खतम हो जाए कभी यह साॅसे
वकत से पहले मेरे हमनवाज..यकीॅ कर लो हम ही है तुमहारे सरताज.........