Friday 6 February 2015

कहते कहते कयू रूक गए-जुबाॅ पे वो अलफाज..यकीकन वो हम ही थे जिन से मिले तुम

पहली बार...कोई कहता है तुम मुहबबत हो-तो कोई कहता है तुम दगा-बाज हो...इसी

कशमकश मे यू ही उलझे रहे-कभी दिन तो कभी ऱात..ना खतम हो जाए कभी यह साॅसे

वकत से पहले मेरे हमनवाज..यकीॅ कर लो हम ही है तुमहारे सरताज.........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...