Wednesday 4 February 2015

अपनी रूह मे बसाया है नाम तेरा..तू मुझे चाहे ना चाहे,यह काम बस है तेरा.....दौलत

नही माॅगी तुझ से..ना चाहे ऐशो-आराम...मेरी इबादत मे बस तुम रहे सुबह शाम...कया

कहती है दुनियाॅ,यह समझना अब नही मेरा काम.इसीलिए तो रूह पे लिखा है तेरा नाम

.. यह तन तो मिट जाए गा,पर इसी रूह के साथ ले जाए गे तेरा नाम.......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...