Thursday 26 February 2015

रफता रफता पाॅव बढा रहे है हम--गीली मिटटी पे निशान बना रहे है हम-----जिनदगी

के नाकाम रासतो से भी मनिजल ठूॅठ ले गे हम---कया हुआ जो साथ कोई मेरे नही--

कया हुआ जो किसी को मुझ से वासता नही----यहाॅ तो लोग पयार का मतलब भी नही

जाान पाते है---हम तो इनसाॅ है,लोग तो खुदा को ही भूल जाते है---इसलिए तो जिनदगी
को कामयाब बनाने जा रहे है हम--------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...