एक इशारा जिनदगी ने ऐसा दिया,कि हम मुसकुरा दिए...जिन रासतो से गुजरे थे कभी
तनहाॅ हो कर,उनही रासतो ने आज फूल बिछा दिए... खामोशी की जुबाॅ जो ना समझे
कभी वो खुद ही सलामे-इशक बन के आ गए....आॅखो ने अशक बहाए जितने,महबूब
की आगोश मे आ कर बहार बन के खिल गए..........
तनहाॅ हो कर,उनही रासतो ने आज फूल बिछा दिए... खामोशी की जुबाॅ जो ना समझे
कभी वो खुद ही सलामे-इशक बन के आ गए....आॅखो ने अशक बहाए जितने,महबूब
की आगोश मे आ कर बहार बन के खिल गए..........