लौट आओ कि इनतजाऱ की घडियाॅ कटती नही अब..पॅछी भी लौटने लगे है घर..रात
के झुरमुट से पहले....इतनी सजा कया कम है तेरे बिना जो जी लिए इतना....कहते है
इनतजाऱ जब हद से जयादा होने लगे और मुहबबत दीवानगी को छूने लगे...होता है
इबादत का असर इतना कि हमारे मिटने से पहले लौट आओ गेे..खुद पे यकी है इतना..
के झुरमुट से पहले....इतनी सजा कया कम है तेरे बिना जो जी लिए इतना....कहते है
इनतजाऱ जब हद से जयादा होने लगे और मुहबबत दीवानगी को छूने लगे...होता है
इबादत का असर इतना कि हमारे मिटने से पहले लौट आओ गेे..खुद पे यकी है इतना..