Friday 16 January 2015

अकसर गुलाबो को तेरे बगीचो मे खफा देखा है...कभी कलियो को कभी काॅटो को खफा

देखा है...यू तो गुलाबो की महक पूरे आॅगन मे महकी है....बिखरी हुई पॅखडियो से यह

फिजा भी बहकी बहकी है.....पूछते है तुम से....जहाॅ महक रहा है आॅगन...महक रही है

फिजा....वहाॅ कयू है गुलाबो की अदा खफा खफा.........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...