मुहबबत वो नही जहाॅ आसमाॅ से तारे तोड लाने की बात हो...मुहबबत वो भी नही जहाॅ
ऐशो आऱाम के वादो पे साथ निभाने की बात हो...अकसर गुरबत मे वो रिशते भी टूट जाते है.
जो कभी पयाऱ की मिसाल होते है..मुहबबत नाम है उस नाते का.....जहाॅ गुरबत मे,दुख
मे.....साथ तू भी मेरे...साथ मै भी तेरे.............
ऐशो आऱाम के वादो पे साथ निभाने की बात हो...अकसर गुरबत मे वो रिशते भी टूट जाते है.
जो कभी पयाऱ की मिसाल होते है..मुहबबत नाम है उस नाते का.....जहाॅ गुरबत मे,दुख
मे.....साथ तू भी मेरे...साथ मै भी तेरे.............