जिनदगी गुजरती रही और हम इनतजाऱ करते रहे..वकत चलता रहा और हम उस के
आने की घडियाॅ गिनते रहे..कया वजूद है मेरा उस के बिना,इसी कशमकश मे जवानी
अपनी बरबाद करते रहे..आज मोड पे है जीवन के उस पहलू मे,जहाॅ इनतजार आज भी
है....पर अब उस का नही..साॅसे खतम कब होगी..यह सवाल खुद से करते है...
आने की घडियाॅ गिनते रहे..कया वजूद है मेरा उस के बिना,इसी कशमकश मे जवानी
अपनी बरबाद करते रहे..आज मोड पे है जीवन के उस पहलू मे,जहाॅ इनतजार आज भी
है....पर अब उस का नही..साॅसे खतम कब होगी..यह सवाल खुद से करते है...