दौलत रूतबा जेवरात,इन से सजाई थी तुम ने दुनियाॅ मेरी..जहाॅ जहाॅ कदम रखे मैने
वहा वहा फूलो की बारिश कर दी तुम ने..वो सपना था या हकीकत गहरी,यह तो मै जान
नही पाई...पर जान लिया इतना कि कही मुहबबत नही मिली मुझ को तुम से..आज
दौलत के उस महल मे रहती हूॅ,जहाॅ हर पल निगाहे बस तुमही को ढूढती है..
वहा वहा फूलो की बारिश कर दी तुम ने..वो सपना था या हकीकत गहरी,यह तो मै जान
नही पाई...पर जान लिया इतना कि कही मुहबबत नही मिली मुझ को तुम से..आज
दौलत के उस महल मे रहती हूॅ,जहाॅ हर पल निगाहे बस तुमही को ढूढती है..