आप दासताॅ सुना रहे थे हमे अपनी,और हम भरी निगाहो से आप को निहारते रहे..
अशक निकले जब छोड कर दामन इन आॅखो का,तो आप की दुआओ ने उनहे थाम
लिया..कसूर आप की दासताॅ का था या फिर हमारे अशको का,नही जानते..बस जानते
है इतना कि आप मुहबबत का वो मकाम है,जहाॅ आने के लिए सजदे किए है हम ने
सदियो से...
अशक निकले जब छोड कर दामन इन आॅखो का,तो आप की दुआओ ने उनहे थाम
लिया..कसूर आप की दासताॅ का था या फिर हमारे अशको का,नही जानते..बस जानते
है इतना कि आप मुहबबत का वो मकाम है,जहाॅ आने के लिए सजदे किए है हम ने
सदियो से...