खामोशी ने दासताॅ मेरी बयाॅ कर दी,कभी खुशी तो कभी गम,यह इनतहाॅ भी बयाॅ कर
दी...छिपाए जजबात कई सालो से,वकत मिला तो हौले से मुहबबत हमारेे नाम कर दी..
अकसर दरद छिप जाते है खामोशी मे,वकत गर अलफाज दे जाए इस को...मुहबबत
बयाॅ कर जाती है इनतहाॅ अपनी...
दी...छिपाए जजबात कई सालो से,वकत मिला तो हौले से मुहबबत हमारेे नाम कर दी..
अकसर दरद छिप जाते है खामोशी मे,वकत गर अलफाज दे जाए इस को...मुहबबत
बयाॅ कर जाती है इनतहाॅ अपनी...