बदल रही है जिॅदगी एक नई सुबह की तरह,जो वकत गुजर गया उस को भुला कर एक
नई राह की तरह.. वो भी एक शाम थी..यह भी एक शाम है...पर सूरज जो आज ठल
रहा है,एक नए पैगाम की तरह..वजूद मेरा जो आज है,वो सिरफ मेरा हैै..तेरी मेरी
पाबनदियो का गुलाम तो नही....
नई राह की तरह.. वो भी एक शाम थी..यह भी एक शाम है...पर सूरज जो आज ठल
रहा है,एक नए पैगाम की तरह..वजूद मेरा जो आज है,वो सिरफ मेरा हैै..तेरी मेरी
पाबनदियो का गुलाम तो नही....