Monday 6 October 2014

मुददत हो गई तुम से जुदा हुए,पल फिर दिन,फिर महीने और अब बरसो बीत चुके है...

पर उस मुहबबत को,उस चाहत को आज भी भूल नही पाए है...बातो की वो खनक....

जजबातो की वो महक..दिल मे बसी है आज तक...तेरी यादो की कसक..आज भी इस

दुनियाॅ मे रह कर,हर रिशते से दूर है....कौन समझे गा,तेरे बिना यह जीवन कया है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...