मुददत हो गई तुम से जुदा हुए,पल फिर दिन,फिर महीने और अब बरसो बीत चुके है...
पर उस मुहबबत को,उस चाहत को आज भी भूल नही पाए है...बातो की वो खनक....
जजबातो की वो महक..दिल मे बसी है आज तक...तेरी यादो की कसक..आज भी इस
दुनियाॅ मे रह कर,हर रिशते से दूर है....कौन समझे गा,तेरे बिना यह जीवन कया है...
पर उस मुहबबत को,उस चाहत को आज भी भूल नही पाए है...बातो की वो खनक....
जजबातो की वो महक..दिल मे बसी है आज तक...तेरी यादो की कसक..आज भी इस
दुनियाॅ मे रह कर,हर रिशते से दूर है....कौन समझे गा,तेरे बिना यह जीवन कया है...