जजबातो की आॅधियाॅ जो चली,मुहबबत की बेपरवाह निगाहो की तरह..तूफान किनारा
कर गए किशतियो की तेज रफतार से...अकसर जजबात बिखर जाते है,मुहबबत की
लापरवाहियो से..कौन कहता है पयार मे कशिश नही होती..टुकडो मे बॅटी जिनदगी
पयार उडा ले जाती है...
कर गए किशतियो की तेज रफतार से...अकसर जजबात बिखर जाते है,मुहबबत की
लापरवाहियो से..कौन कहता है पयार मे कशिश नही होती..टुकडो मे बॅटी जिनदगी
पयार उडा ले जाती है...