Thursday 23 October 2014

जजबातो की आॅधियाॅ जो चली,मुहबबत की बेपरवाह निगाहो की तरह..तूफान  किनारा

कर गए किशतियो की तेज रफतार से...अकसर जजबात बिखर जाते है,मुहबबत की

लापरवाहियो से..कौन कहता है पयार मे कशिश नही होती..टुकडो मे बॅटी जिनदगी

पयार उडा ले जाती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...