तबियत नासाज थी,वो दूर थे मुझ सेे...खवाबो मे देख रहे थे उन को,पर रूबरू नही थे वो
मुहबबत मे यह दूरी सह नही पाए हम,पुकारा जो शिददत् से उनहेे करीब बुला लिया
उनहे..कौन कहता है पयार मे दूरियाॅ होती है,गर होती तो यह शिददत काम नही आती..
मुहबबत मे यह दूरी सह नही पाए हम,पुकारा जो शिददत् से उनहेे करीब बुला लिया
उनहे..कौन कहता है पयार मे दूरियाॅ होती है,गर होती तो यह शिददत काम नही आती..