Friday 17 October 2014

नही जानते कि तनहाई कया पैगाम ले कर आए गी..हमारे सारे खवाबो को तोड जाए

गी या खुुशियो का नया पैगाम लाए गी..कल सुबह फिर होगी..फिर किरणे तेज उजाला

लाए गी..उनही उजालो केे साथ यह तनहाई भी साथ आए गी...कदम अपने बडा रहे है

मनिजल की तरफ..यकीॅ है खुद पे कि तनहाई हम से हार जाए गी..और यह जिनदगी

उजालो से भर जाए गी......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...