Thursday 16 October 2014

तुझ से मिलते है जब भी,तेरी उस नजऱ को सलाम करते है..जिस ने हमे आम से खास

बनाया हैै..हमारी कमियो को भी हमारी ताकत बनाया है...जब जब ठोकर खाई है हम ने

तेरी पनाहो ने हमे सॅभाला है...कया याद रखे,कया भूल जाए..यह तूने ही समझााया है

रिशतो के नाम नही होते..जो तुम ने दिया वो सात जनमो का साथ भी नही देता.इबादत

करे तेरी या खुुदा से माॅग ले तुझ को,फैसले के लिए भी याद किया है तुझ को....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...