Sunday 14 September 2014

इतना तडपे,,इतना तडपे कि अब तडपना ही भूल गए...समझौते इतने किए..बहुत

किए...कि अब समझौता करना ही भूल गए....आॅसू इतने बहाए कि सैलाब ही सूख गए...

मौत को इतना नजदीक से देखा कि जिनदगी जीने का मकसद ही भूल गए....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...