रात का हर पहर खामोश नही होता..कभी दरद तो कभी आॅसू का फरमान लाता हैै...
कभी चूडियो की झनकार इस खामोशी को तोड जाती है...तो कभी हॅसी की आवाज
पहर को खूबसूरत बना जाती है...जिनदगी हर पहर की पहचान है....कभी आॅसू तो
कभी हॅसी...यही जिनदगी की दासतान है........
कभी चूडियो की झनकार इस खामोशी को तोड जाती है...तो कभी हॅसी की आवाज
पहर को खूबसूरत बना जाती है...जिनदगी हर पहर की पहचान है....कभी आॅसू तो
कभी हॅसी...यही जिनदगी की दासतान है........