Wednesday 17 September 2014

जिनदगी कब कहाॅॅ दसतक देती है...और किस मुकाम पर....कोई नही जानता....

पर वकत कहता है समभल जा...इमतहान तो अभी बाकी है...साॅसे कब कहाॅॅ साथ

छोड दे यह भी कोई नही जानता....परिॅदो की तरह उड जाना....वकत और जिनदगी

कया सोचे गे....यह भी कोई नही जानता..... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...