वो ही धरती वो ही आसमान है..वो ही सूरज वो ही चॅदा..
ना ही राते बदली है..ना बदला है सवेरे का उजाला..
अकसर जीवन की दौड मे..बदल जाती है ऱिशतो की महक..
दौलत शोहरत के लिए..रिशते भी दाॅव पे लगा देतेे है लोग..
इनही को पाने के लिए..रिशते ही गॅवा देते है लोग....
ना ही राते बदली है..ना बदला है सवेरे का उजाला..
अकसर जीवन की दौड मे..बदल जाती है ऱिशतो की महक..
दौलत शोहरत के लिए..रिशते भी दाॅव पे लगा देतेे है लोग..
इनही को पाने के लिए..रिशते ही गॅवा देते है लोग....