Saturday 9 August 2014

मेेरी मासूम हॅसी को तुम ने..खिताब दिया जननत का..

वादियो मे खो ना जाए कही,मुहबबत का हवाला दे कर रोक लिया..

आज धरती पे नही,आसमाॅॅ मे उड रहे है हम....

तेरेे दिए खिताब से,अब तेरी इबादत मे झुक गए है हम..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...