कदऱ हो हर जजबे की,ऐसा कहाँ होता है..
अकसर इस दुनियाँ मे,मन से किए इन जजबातों को..
सिरे से नकार दिया जाता है.....
अकसर इस दुनियाँ मे,मन से किए इन जजबातों को..
सिरे से नकार दिया जाता है.....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...