Saturday 7 June 2014

कोयल की कूक ने सुबह को रँगीन बना दिया..

रात भर की उदासी को खुशनुमा माहौल ही बना दिया..

चपपे चपपे पे छाई है,मिठास की वो बोली..

मुहबबत ही सजा गई चहकती हुई वो बोली...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...