Tuesday 3 June 2014

टुटते हुए सपनों को खाक नही होने दे गे अब हम..

कतऱा कतऱा कर के इस मुहबबत को फिर लौटा लाए गे अब हम..

सपनों को हकीकत मे बदलना,नामुमकिन तो नही अब..

पर हकीकत को खबाबों मे सजा लेना,यह जान गए है अब हम...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...