नया सफर,नई ऱाहे..हर कदम है नया..कितना चलना हैै अभी,मालूम नहीं..
किसी के साथ नही,किसी के बाद नही..परवरदिगार के कदमोंं मे खत लिखा है..
किसी से कुछ सुनना नही,किसी से कुछ कहना भी नही..
बस अपने ही जमीऱ की आवाज सुने गे,औऱ अपने सफर को अनजाम दे जाए गे..
किसी के साथ नही,किसी के बाद नही..परवरदिगार के कदमोंं मे खत लिखा है..
किसी से कुछ सुनना नही,किसी से कुछ कहना भी नही..
बस अपने ही जमीऱ की आवाज सुने गे,औऱ अपने सफर को अनजाम दे जाए गे..