Saturday 14 June 2014

नया सफर,नई ऱाहे..हर कदम है नया..कितना चलना हैै अभी,मालूम नहीं..

किसी के साथ नही,किसी के बाद नही..परवरदिगार के कदमोंं मे खत लिखा है..

किसी से कुछ सुनना नही,किसी से कुछ कहना भी नही..

बस अपने ही जमीऱ की आवाज सुने गे,औऱ अपने सफर को अनजाम दे जाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...