Monday 2 June 2014

खामोशी ने तोडा है,दामन भीगी रात का..बूंद बूंद ओस ने बिछाया है बिसतर भोर का..

कुछ फूल बिछाए है रजनीगँधा की साँसों ने,सब मिला कर साथ दिया है.....

सुबह की बरसात ने......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...