Tuesday 10 June 2014

हर दरद दुआ मे अगर बदल गया होता,तो खुदा की इस दुनिया मे कही दरद नही होता.

पर दरद की इनतिहाँ रही इतनी,कि इनसान ही पतथर का बन गया..

चाहने से गर खुशी मिलती,अपनों का पयाऱ मिलता,तो यह जहाँ इतना बुरा ना होता.

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...